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Tuesday, July 5, 2011

ayurved chikitsakon ke naam


प्रिय मित्रों नमस्कार ,
                           आज मैं शिरोधारा और नस्य के विषय में और उनके मानस तथा neurological disorders के सम्बन्ध में विचार करना चाहूंगा तथा साथ ही साथ आप सभी वैद्यों के मत भी जानना चाहूँगा . हम सभी जानते हैं की वायु रजो गुणात्मक है तथा वात प्रकृति  के व्यक्ति का मन भी रजोगुण से भरा रहता है . वायु के गुणों में एक गुण ये भी कहा गया है "नियंता प्रणेता च मनसः" यानि के वायु जो है वह मन का नियंत्रण करता है तथा साथ में प्रेरक भी है .
          यहाँ जिस वायु विशेष के बारे में कहा गया है ,वोह शास्त्रोक्त विभाजन के आधार पर प्राण वायु है . मानस रोगों में नस्य तथा शिरोधारा का महत्व इसी से सिद्ध है की इन दोनों चिकित्सों से मस्तिष्क में प्रकुपित वायु क शमन होता है . चूंकि शिर यह उत्तमांग कहा गया है क्योंकि इस अंग से शारीर की  सभी क्रियाएँ नियंत्रित होती हैं .
                                                                          आज कल हम देखते हैं की मनुष्य की प्रवृत्ति राजसिक होती जा रही है , जिसके कारण अनेक मानसिक विकार हो रहे हैं , .
                         

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