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Wednesday, June 15, 2011

about brain power

प्रिय मित्रों नमस्कार ,
                                 क्या आप जानते हैं की हमारे मस्तिष्क में ज्ञान की उत्पत्ति कैसे होती है . ज्ञान को प्राप्त करने में मन बुद्धि और अहंकार का संयोग होता है तब ज्ञान का अनुभव होता है. यहाँ अहंकार का अर्थ घमंड नहीं , अहम् यानि की मैं कार यानि की करना , यानि के मैं इस ज्ञान को स्वीकार करता हूँ. 
                                                                                                                            बहुत से लोगों का प्रश्न होता है , की मेरा बालक या बालिका पढाई में एकाग्र नहीं है , उसका मन इधर उधर भटकता है. स्मरण शक्ति कमज़ोर है . मेरा मानना है की यह कोई बड़ी समस्या नहीं है , क्योंकि मैं मानता हूँ की यहाँ मन का कार्य होता है , मन के संयोग के बिना ज्ञान नहीं होता . जैसे की कोई व्यक्ति किसी भी फ़िल्मी गीत को सुनकर तुरंत याद कर लेता है या हो जाता है , क्योंकि उसका मन उस गाने में लग गया था. इसी लिए सबसे पहले जब तक मन उस बात को ग्रहण नहीं करेगा वो बात बुद्धि तक नहीं पहुचेगी . बुद्धि तक नहीं पहुची तो अहम् याने की मैं उसे कैसे स्वीकार करूंगा. 

वैसे ही किसी को कोई बात समझनी है या सिखानी है तो सबसे पहले उस व्यक्ति के लिए बात रुचिकर बनानी होगी . आजकल कंप्यूटर के द्वारा बहुत सारे शिक्षण कार्यक्रम होते हैं ,
                                                                                                          जहां तक एकाग्रता का प्रश्न है , प्राणायाम और अनुलोम विलोम से बढाई जा सकती है , आयुर्वेद में शिरोधरा चिकित्सा भी मस्तिष्क को बल देती है , 
             मेरा कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना है की एकाग्रता स्वयं बढाई जा सकती है लेकिन स्मरण शक्ति को बढ़ने के लिए शिरोधरा का महत्त्वपूर्ण योगदान है..........

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