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Tuesday, March 4, 2014

वसंत ऋतू

प्रिय मित्रों नमस्कार ,
                                 वसंत ऋतू ये अत्यंत ही मनमोहक और सुखद ऋतू है ,किन्तु इस ऋतू में शीत ऋतू में संचित कफ दोष का प्रकोप होता है , कफ दोष के कारण अनेक स्वास्थय समस्याएँ जैसे कास श्वास और प्रतिश्याय यानि कि कास अर्थात खांसी , प्रतिश्याय यानि कि नाक का बहना छींकें आना और श्वास जिसे कि सामान्य भाषा में दमा और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में Asthma के नाम से जाना जाता है।  इन सबमे दमा श्वास ये अधिक कठिन रोग है क्योंकि यह याप्य है अर्थात पूर्णतः चिकित्स्य  नहीं है।  इस बीमारी को पूर्णतः समाप्त नहीं  किया जा सकता , किन्तु इसके लक्षणों को रोका जा सकता है।  
                                                                                                                  यदि आप दमा श्वास के रोगी हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान और सावधानियां रखनी चाहिए। 

१. प्रातः काल यानि सुबह उठ कर ख़ाली पेट एक गिलास गर्म पानी(गुनगुने से थोडा ज्यादा गर्म ) अवश्य पियें , जिस से फेफड़ों और श्वास कि नलिकाओं में जमा हुआ बलगम निकलने में मदद मिले।  यदि बलगम निकलने लगे तब उसे बाहर निकालें गटकें नहीं। 
२. भोजन में खट्टी मीठी और ठंडी चीज़ों का परहेज रखें 
३. भोजन कम मात्रा  में करें ,क्योंकि वसंत ऋतू में कफ दोष के आधिक्य से अग्नि मांद्य होता है , तथा भोजन का पाचन ठीक से नहीं होता। 
४. धुल धुंए से दूर रहें ,और जहां पोलन ग्रैन यानि कि पराग कणो से दमा का दौरा पद सकता है।
५ प्राणायाम और अनुलोम विलोम करने से फेफड़ों में शुद्ध हवा का संचार होता है तथा फेफड़ों को बल मिलता है।
६. तालिसादि चूर्ण और वासा अवलेह , चित्रक अवलेह का सेवन लाभदायक होता है। 
७ वसंत ऋतू में वमन चिकित्सा लेने से स्वाभाविक रूप प्रकुपित कफ दोष का शमन होता है ,देखा गया है कि जो लोग हर वर्ष नियमित रूप से वमन कर्म करवाते हैं ,वो वर्ष भर स्वस्थ रहते हैं और उन्हें कफ दोष जनित विकार भी नहीं होते। 

Monday, June 25, 2012


आयुर्वेद जगत के मित्रों नमस्कार ,
प्रभु धनवंतरी के आशीर्वाद से आयुर्वेदाचार्य (B.A.M.S.) के छात्रों के लिए Online Classes की शुरुवात करने जा रहा हूँ . १ जुलाई २०१२ से जिसका शुभारंभ है . यहाँ मैं प्रथम ,द्वितीय और तृतीय आयुर्वेदाचार्य के लिए , क्रिया शरीर ,रचना शरीर , द्रव्य गुण , रस शास्त्र , चरक पूर्वार्ध और उत्तरार्ध तथा काय चिकित्सा ये विषय पढ़ाऊंगा ... अधिक जानकारी के लिए देखें http://www.ayulifeclinic.x10.mx/online.html यदि किसी को लेक्चर के समय से प्रॉब्लम है या वेब कैम उपलब्ध नहीं है तो बताएं , उनके लिए रेकॉर्डेड लेक्चर ई मेल के द्वारा भेजे जायेंगे .... आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं ...... धन्यवाद आपका आयुर्वेद शिक्षक

Ayu Life Clinic
www.ayulifeclinic.x10.mx

Wednesday, May 23, 2012



हृदयाचा आजार हा सर्वात धोक्याचा आजार असून .... सुरक्ष्तेचा प्राकृतिक आणि शाकाहारी  उपाय आहे ...

मराठी .....


Tamil Language Version.... Vestige flex oil....

ह्रदय रोगों से बचाव के लिए शाकाहारी और सुरक्षित उपाय ....


Thursday, May 17, 2012

मेथी , एक स्वास्थ्य वर्धक औषध

मेथी महत्वपूर्ण औषधियों में से एक है इसमें विटामिन के साथ धात्विक पदार्थ और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है अधिकांश लोग मेथी की कडवाहट के कारण इसे पसंद नहीं करते पर यही कडवाहट खाने का स्वाद बढ़ाता है साथ ही यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है मैथी में कडवापन उसमे उपस्थित पदार्थ 'ग्लाइकोसाइड ' के कारण होता है मैथी में फास्फेट , लेसिथिन, विटामिन डी और लौह अयस्क होता है जो आपकी स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करते है ।
~ मेथी दाने ~
- मेथी दाने न सिर्फ शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत करते है बल्कि शरीर को बाहरी सुन्दरता देने में भी सहायक हो सकते है मैथी के दानों को पीसकर यदि त्वचा पर लगाया जाए तो यह सुन्दर और मुलायम बनती है. 
- इसका प्रयोग घाव और जलने के इलाज में भी किया जाता है 
- पुराने समय में बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए गर्भवती स्त्री को मेथी खिलाई जाती थी मैथी में ऐसे पाचक एंजाइम होते है जो आग्नाशय को अधिक क्रिया शील बना देते है 
- इससे पाचन क्रिया भी सरल हो जाती है यह गैस्ट्रिक अल्सर के उपचार में भी उपयोगी है - मेथी के स्टेराइड युक्त सैपोनिन और लस दार रेशे रक्त में शर्करा को कम कर देते है इसलिए मैथी का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है 
- मेथी को यदि कुछ मात्रा में रोज लिया जाए ओ इससे मानसिक सक्रियता बढ़ती है 
- यह शरीर के कोलेस्ट्रोल का स्तर भी घटाता है । 
- वायु के कारण होने वाले हाथ-पैर के दर्द में मेथीदानों को घी में सेंककर उनका चूर्ण बनायें एवं उसके लड्डू बनाकर प्रतिदिन एक लड्डू का सेवन करें तो लाभ होता है।


~ मेथी के पत्ते ~
- रोज सुबह व श्याम मेथी का रस निकाल कर पियें मधुमय ठीक हो जाती है।
- मेथी की सब्जी में अदरक,गर्म मसाला डालकर खाने से निम्न रक्तचाप में फायदा होता है।
- बच्चों के पेट में कृमि हो जाने पर उन्हें मेथी की भाजी का 1-2 चम्मच रस रोज पिलाने से लाभ होता है।
- रोज हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के 80 प्रकार के वायु के रोगों में लाभ होता है।
- मेथी की सूखी भाजी को ठंडे पानी में भिगोयें। अच्छी तरह भीग जाने पर मसलकर छान लें एवं उस पानी में शहद मिलाकर एक बार रोगी को पिलायें तो लू में लाभ होता है।
- कफदोष के कारण जिन्हें हमेशा सर्दी-जुकाम-खाँसी की तकलीफ बनी रहती हो उन्हें तिल अथवा सरसों के तेल में गरम मसाला, अदरक एवं लहसुन डालकर बनायी गयी मेथी की सब्जी का प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।...........

Monday, April 2, 2012

वृक्क यानि Kidney के विकार

प्रिय मित्रों नमस्कार ,


आज मैं आपसे वृक्क यानि किडनी के विकारों पर चर्चा करना चाहूँगा . किडनी ये शारीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग हैं , इसके द्वारा शरीर से  मल  बाहर निकलता है और शरीर के अन्दर साम्यावस्था बनी रहती है , वृक्क शरीर में दो होते हैं .
                            अब सबसे पहले किडनी के रोगों के कारणों पर चर्चा की जाए .
१. आहार में द्रव पदार्थों का अत्यल्प प्रमाण में सेवन करना अथवा अत्यधिक प्रमाण में सेवन करना
२.पीने में कठोर जल का प्रयोग करना
३. मूत्र के वेग को अधिक समय तक रोकना
४. उच्च रक्त दाब यानि के High Blood Pressure यथोचित उपचार ना होना
५ रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होना ( जिसके कारण किडनी की रक्त वाही धमनियों में रूकावट होकर वहां रक्त का संचार कम हो जाता है , और वहां Ischaemic Renal Failure हो सकता है .
६ किडनी , मूत्राशय के स्थान पर अघात होना उदहारण , एक्सिडेंट हो जाना
७ नशीले पदार्थ जैसे तम्बाखू , भांग अफीम इत्यादि के अत्यधिक सेवन से भी किडनी के रोग हो सकते हैं .


८ मधुमेह के रोगियों को किडनी के बीमारियाँ होने की सम्भावनाये अधिक होती हैं , इन रोगियों को रक्त शर्करा , लिपिड प्रोफाइल और रक्त दाब ( BLOOD PRESSURE) की नियमित जांच करते रहना चाहिए .


आज हमने  किडनी के रोगों के सामान्य हेतुओं पर चर्चा की है .....