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Monday, June 25, 2012


आयुर्वेद जगत के मित्रों नमस्कार ,
प्रभु धनवंतरी के आशीर्वाद से आयुर्वेदाचार्य (B.A.M.S.) के छात्रों के लिए Online Classes की शुरुवात करने जा रहा हूँ . १ जुलाई २०१२ से जिसका शुभारंभ है . यहाँ मैं प्रथम ,द्वितीय और तृतीय आयुर्वेदाचार्य के लिए , क्रिया शरीर ,रचना शरीर , द्रव्य गुण , रस शास्त्र , चरक पूर्वार्ध और उत्तरार्ध तथा काय चिकित्सा ये विषय पढ़ाऊंगा ... अधिक जानकारी के लिए देखें http://www.ayulifeclinic.x10.mx/online.html यदि किसी को लेक्चर के समय से प्रॉब्लम है या वेब कैम उपलब्ध नहीं है तो बताएं , उनके लिए रेकॉर्डेड लेक्चर ई मेल के द्वारा भेजे जायेंगे .... आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं ...... धन्यवाद आपका आयुर्वेद शिक्षक

Ayu Life Clinic
www.ayulifeclinic.x10.mx

Wednesday, May 23, 2012



हृदयाचा आजार हा सर्वात धोक्याचा आजार असून .... सुरक्ष्तेचा प्राकृतिक आणि शाकाहारी  उपाय आहे ...

मराठी .....


Tamil Language Version.... Vestige flex oil....

ह्रदय रोगों से बचाव के लिए शाकाहारी और सुरक्षित उपाय ....


Thursday, May 17, 2012

मेथी , एक स्वास्थ्य वर्धक औषध

मेथी महत्वपूर्ण औषधियों में से एक है इसमें विटामिन के साथ धात्विक पदार्थ और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है अधिकांश लोग मेथी की कडवाहट के कारण इसे पसंद नहीं करते पर यही कडवाहट खाने का स्वाद बढ़ाता है साथ ही यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है मैथी में कडवापन उसमे उपस्थित पदार्थ 'ग्लाइकोसाइड ' के कारण होता है मैथी में फास्फेट , लेसिथिन, विटामिन डी और लौह अयस्क होता है जो आपकी स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करते है ।
~ मेथी दाने ~
- मेथी दाने न सिर्फ शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत करते है बल्कि शरीर को बाहरी सुन्दरता देने में भी सहायक हो सकते है मैथी के दानों को पीसकर यदि त्वचा पर लगाया जाए तो यह सुन्दर और मुलायम बनती है. 
- इसका प्रयोग घाव और जलने के इलाज में भी किया जाता है 
- पुराने समय में बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए गर्भवती स्त्री को मेथी खिलाई जाती थी मैथी में ऐसे पाचक एंजाइम होते है जो आग्नाशय को अधिक क्रिया शील बना देते है 
- इससे पाचन क्रिया भी सरल हो जाती है यह गैस्ट्रिक अल्सर के उपचार में भी उपयोगी है - मेथी के स्टेराइड युक्त सैपोनिन और लस दार रेशे रक्त में शर्करा को कम कर देते है इसलिए मैथी का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है 
- मेथी को यदि कुछ मात्रा में रोज लिया जाए ओ इससे मानसिक सक्रियता बढ़ती है 
- यह शरीर के कोलेस्ट्रोल का स्तर भी घटाता है । 
- वायु के कारण होने वाले हाथ-पैर के दर्द में मेथीदानों को घी में सेंककर उनका चूर्ण बनायें एवं उसके लड्डू बनाकर प्रतिदिन एक लड्डू का सेवन करें तो लाभ होता है।


~ मेथी के पत्ते ~
- रोज सुबह व श्याम मेथी का रस निकाल कर पियें मधुमय ठीक हो जाती है।
- मेथी की सब्जी में अदरक,गर्म मसाला डालकर खाने से निम्न रक्तचाप में फायदा होता है।
- बच्चों के पेट में कृमि हो जाने पर उन्हें मेथी की भाजी का 1-2 चम्मच रस रोज पिलाने से लाभ होता है।
- रोज हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के 80 प्रकार के वायु के रोगों में लाभ होता है।
- मेथी की सूखी भाजी को ठंडे पानी में भिगोयें। अच्छी तरह भीग जाने पर मसलकर छान लें एवं उस पानी में शहद मिलाकर एक बार रोगी को पिलायें तो लू में लाभ होता है।
- कफदोष के कारण जिन्हें हमेशा सर्दी-जुकाम-खाँसी की तकलीफ बनी रहती हो उन्हें तिल अथवा सरसों के तेल में गरम मसाला, अदरक एवं लहसुन डालकर बनायी गयी मेथी की सब्जी का प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।...........

Monday, April 2, 2012

वृक्क यानि Kidney के विकार

प्रिय मित्रों नमस्कार ,


आज मैं आपसे वृक्क यानि किडनी के विकारों पर चर्चा करना चाहूँगा . किडनी ये शारीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग हैं , इसके द्वारा शरीर से  मल  बाहर निकलता है और शरीर के अन्दर साम्यावस्था बनी रहती है , वृक्क शरीर में दो होते हैं .
                            अब सबसे पहले किडनी के रोगों के कारणों पर चर्चा की जाए .
१. आहार में द्रव पदार्थों का अत्यल्प प्रमाण में सेवन करना अथवा अत्यधिक प्रमाण में सेवन करना
२.पीने में कठोर जल का प्रयोग करना
३. मूत्र के वेग को अधिक समय तक रोकना
४. उच्च रक्त दाब यानि के High Blood Pressure यथोचित उपचार ना होना
५ रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होना ( जिसके कारण किडनी की रक्त वाही धमनियों में रूकावट होकर वहां रक्त का संचार कम हो जाता है , और वहां Ischaemic Renal Failure हो सकता है .
६ किडनी , मूत्राशय के स्थान पर अघात होना उदहारण , एक्सिडेंट हो जाना
७ नशीले पदार्थ जैसे तम्बाखू , भांग अफीम इत्यादि के अत्यधिक सेवन से भी किडनी के रोग हो सकते हैं .


८ मधुमेह के रोगियों को किडनी के बीमारियाँ होने की सम्भावनाये अधिक होती हैं , इन रोगियों को रक्त शर्करा , लिपिड प्रोफाइल और रक्त दाब ( BLOOD PRESSURE) की नियमित जांच करते रहना चाहिए .


आज हमने  किडनी के रोगों के सामान्य हेतुओं पर चर्चा की है ..... 

Saturday, January 21, 2012

आयुर्वेदमन्त्र: घी शत्रु नहीं मित्र .......

आयुर्वेदमन्त्र: घी शत्रु नहीं मित्र .......: प्रिय मित्रों नमस्कार , वर्ष २०१२ का मेरा यह पहला ब्लॉग है . अतः देर से ही सही किन्तु मेरा अभिवादन स्वीकार करें . किन्ही व्यस्तताओं के ...

घी शत्रु नहीं मित्र .......

प्रिय मित्रों नमस्कार ,

वर्ष २०१२ का मेरा यह पहला ब्लॉग है . अतः देर से ही सही किन्तु मेरा अभिवादन स्वीकार करें .  किन्ही व्यस्तताओं के चलते बहुत समय से आप से चर्चा नहीं हो पायी . 
                                                                                               आजकल जिसे देखो वो येही कहता नज़र आता है मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ गया है , कोलेस्ट्रोल बढ़ गया है ; डॉक्टर ने घी तेल चिकनाई का परहेज कहा है ....... एक मरीज़ ने मुझ से कहा की मेरे घुटनों में बहुत दर्द है , मैंने उसे कुछ दवाएं दी और कहा की सुबह खाली पेट २ चम्मच घी खाना है और उसके आधे घंटे तक कुछ नहीं खाना फिर आधे घंटे बाद गर्म पानी पीना है . घी का नाम सुनते ही वो कहने लगा की ये आप क्या कह रहे हैं मैं घी कैसे खा सकता हूँ इससे मेरा कोलेस्ट्रोल बढ़ जायेगा . मैंने कहा मित्र घी की मिठाइयों और खाने के साथ घी का सेवन करने से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है न की खाली पेट सिर्फ २ छोटी चम्मच लेने से ......... अब समझिये की मैंने ऐसा क्यों कहा .......... जब आप घी की मिठाई और सब्जियों में घी का सेवन करते हैं तो वो अत्यधिक गुरु यानि की गरिष्ठ होता है . हमारा यकृत (लीवर ) इस अति प्रमाण में उपलब्ध चिकनाई को कोलेस्ट्रोल में बदलता है जो की शारीर के रक्त वाहिनी शिराओं और धमनियों में जाकर जमता है ...... खाली पेट घी खाने पर वह पूरी तरह पच जाता है और वह कोलेस्ट्रोल में बदल नहीं पाता , इस प्रकार वह शारीर की आवश्यकता को पूर्ण करता है . जैसे किसी भी यन्त्र को कार्य करने के लिए चिकने की आवश्यकता होती है , हम मशीन में तेल डालते है तो वह बिना घर्षण के सही कार्य करती है .जब उसमे चिकनाई के साथ धुल जमती है तो वो जाम हो जाती है , उसी प्रकार जब हम आटे के साथ घी अथवा मिठाई के साथ घी खाते हैं तो वो कोलेस्ट्रोल बनने का कारण बनती है ....... दिन भर में मात्र २ से ४ चम्मच घी आपके शरीर की आवश्यकता को पूर्ण कर सकता है दिन भर आपको किसी भी रूप में चिकनाई की आवश्यकता नहीं ...... इसीलिए खाने के साथ घी तेल चिकनाई बहुत ही अल्प प्रमाण में होना चाहिए .......