प्रिय मित्रों नमस्कार , आज मैं आपको आयुर्वेद के सबसे महत्त्वपूर्ण अंग रसायन चिकित्सा के बारे में आपको बताऊँगा . विशेषतः देखा जाए तो आधुनिक चिकित्सा शास्त्र रोग होने के पश्चात चिकित्सा के उपाय बताता है ,किन्तु आयुर्वेद रोग से बचने के उपाय पहले बताता है यदि फिर भी किसी कारण वश रोग हो जाये तो चिकित्सा के उपाय बताता है .
१ रसायन चिकित्सा क्या है ?
२ इससे क्या लाभ हैं?
रसायन अष्टांग आयुर्वेद अर्थात आठ अंगों से युक्त आयुर्वेद का वह भाग है जिसके द्वारा उत्तम स्वास्थय तथा दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है .दीर्घायुष्य और उत्तम स्वास्थय तभी प्राप्त हो सकता है जब शरीर के सभी अंग सकुशल हों तथा शरीर इ रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्तम हो .इन्ही उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु रसायन चिकित्सा की जाती है . इस चिकित्सा के विधिवत सेवन से दीर्घ आयु , स्मृति (स्मरण शक्ति ) मेधा (समझ कर ग्रहण करने की शक्ति ) उत्तम आरोग्य क लाभ , तरुण वय अर्थात अकाल में वृद्ध न होना इत्यादि लाभ होते हैं .
Saturday, July 9, 2011
Tuesday, July 5, 2011
ayurved chikitsakon ke naam
प्रिय मित्रों नमस्कार ,
आज मैं शिरोधारा और नस्य के विषय में और उनके मानस तथा neurological disorders के सम्बन्ध में विचार करना चाहूंगा तथा साथ ही साथ आप सभी वैद्यों के मत भी जानना चाहूँगा . हम सभी जानते हैं की वायु रजो गुणात्मक है तथा वात प्रकृति के व्यक्ति का मन भी रजोगुण से भरा रहता है . वायु के गुणों में एक गुण ये भी कहा गया है "नियंता प्रणेता च मनसः" यानि के वायु जो है वह मन का नियंत्रण करता है तथा साथ में प्रेरक भी है .
यहाँ जिस वायु विशेष के बारे में कहा गया है ,वोह शास्त्रोक्त विभाजन के आधार पर प्राण वायु है . मानस रोगों में नस्य तथा शिरोधारा का महत्व इसी से सिद्ध है की इन दोनों चिकित्सों से मस्तिष्क में प्रकुपित वायु क शमन होता है . चूंकि शिर यह उत्तमांग कहा गया है क्योंकि इस अंग से शारीर की सभी क्रियाएँ नियंत्रित होती हैं .
आज कल हम देखते हैं की मनुष्य की प्रवृत्ति राजसिक होती जा रही है , जिसके कारण अनेक मानसिक विकार हो रहे हैं , .
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