प्रिय मित्रों नमस्कार ,
लम्बे समय के बाद आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूँ . आज मैं एक ऐसी समस्या को लेकर विचार विमर्श करना चाहता हूँ. जिस विषय से अधिकतर लोग अनभिज्ञ हैं. मेरा आज का विषय है स्तन पान , हम सभी जानते हैं की माँ का दूध शिशु के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है , क्योंकि वह शिशु के विकास tके लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है. आज कल आहार विहार संबंधी गलतियों के चलते रस धातु की विकृति हो जाती है , जिसके कारण स्त्रियों में स्तन्य (मिल्क) की उतपत्ति नहीं होती या होती भी है तो वह दोष युक्ता होता है जिस से शिशुओं में अनेक प्रकार की बीमारिया होने की संभावना होती है
वास्तव में प्रकृति ने प्रत्येक जीव जंतु को अलग बनाया है . कई लोग माता का दूध न स्त्राव होने की स्तिथि में गाय अथवा भैंस का दूध शिशु को देते हैं जो उसके मानसिक शारीरिक और बौद्धिक विकास में अवरोध उत्पन्न करता है .
बहुत से लोगों को यह भी जानकारी नहीं है की यदि माँ का दूध नहीं निकलता है तो इस का उपचार संभव है . आयुर्वेद संहिताओं में इस समस्या एवं इसके उपचार के सम्बन्ध में वर्णन मिलता है .
याद रखिये माँ का स्थान इस संसार में भगवान भी नहीं ले सकते . ऐसी समस्या के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक का परामर्श अवश्य ले .
धन्यवाद ........
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