प्रिय मित्रों ,
आज मैं आपको हेर्पेस जोस्टर जिसे की आयुर्वेद में विसर्प व्याधि के नाम से जाना जाता है , ये बीमारी बहुत ही कष्ट दायक होती है क्योंकि इसमें भयंकर पीड़ा होती है .इसके लक्षण हैं ज्वर याने की बुखार आना सारे शरीर में लाल रंग की छोटी छोटी पीतिकाएं या फुंसियां हो जाती हैं जो एक स्थान से शुरू होकर बढती जाती हैं और फैलती जाती हैं जिस स्थान पर बढती हैं वहां जलन दर्द और कभी कभी खुजली होती हैं . इस ज्जलन से बचने के लिए घरेलु उपचार के रूप में नारियल तेल का उपयोग किया जा सकता है . आहार में स्निग्ध और शीत आहार जैसे से गोघृत में बने पदार्थ अनार का रस दूध चावल मीठी चीज़ का सेवन करें , खट्टी चीज़ों का परहेज़ करें .सैट धौत घृत का सेवन करें जिससे जलन शांत होती है अग्नि बढती है ,भूख लगती है. आयुर्वेद चिकित्सक इस बीमारी में विरेचन यानि पर्जेतिव का प्रयोग करते हैं जिससे शीघ्र लाभ मिलता है . चंद्रप्रभा वती का सेवन भी लाभ दायक होता है.
आज मैं आपको हेर्पेस जोस्टर जिसे की आयुर्वेद में विसर्प व्याधि के नाम से जाना जाता है , ये बीमारी बहुत ही कष्ट दायक होती है क्योंकि इसमें भयंकर पीड़ा होती है .इसके लक्षण हैं ज्वर याने की बुखार आना सारे शरीर में लाल रंग की छोटी छोटी पीतिकाएं या फुंसियां हो जाती हैं जो एक स्थान से शुरू होकर बढती जाती हैं और फैलती जाती हैं जिस स्थान पर बढती हैं वहां जलन दर्द और कभी कभी खुजली होती हैं . इस ज्जलन से बचने के लिए घरेलु उपचार के रूप में नारियल तेल का उपयोग किया जा सकता है . आहार में स्निग्ध और शीत आहार जैसे से गोघृत में बने पदार्थ अनार का रस दूध चावल मीठी चीज़ का सेवन करें , खट्टी चीज़ों का परहेज़ करें .सैट धौत घृत का सेवन करें जिससे जलन शांत होती है अग्नि बढती है ,भूख लगती है. आयुर्वेद चिकित्सक इस बीमारी में विरेचन यानि पर्जेतिव का प्रयोग करते हैं जिससे शीघ्र लाभ मिलता है . चंद्रप्रभा वती का सेवन भी लाभ दायक होता है.
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