प्रिय मित्रों २०१० वर्ष के अंतिम दिन और नव वर्ष का आगमन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें . आहार सम्बन्धी जानकारी में मैं आपको पिछले ब्लोग्स में दे चुका हूँ ,आज आहार के बारे में कुछ अन्य विशेष जानकारी दे रहा हूँ , हम में से बहुत से लोग रस (जो की जिव्हा का ग्राह्य विषय है ). के बारे में जानते हैं पर बहुत से लोग नहीं जानते इसलिए इस बारे में विस्तार से वर्णन कर रहा हूँ . रस छः प्रकार के होते हैं मधुर अम्ल लवण तिक्त (कड़वा ) उष्ण (तीखा ) कषाय .
यह बल (strength) के आधार पर उत्तरोत्तर लघु होते हैं , अब इनकी विशेषताओं को बताऊँगा ,जैसे मधुर रस यह जिव्हा को अतिप्रिय रस है पृथ्वी और आप्य (जल ) महाभूत प्रधान है यह शरीर को संहनन और बल प्रदान करता है
अम्ल रस यह आग्नेय है अर्थात अग्नि और जल महाभूत प्रधान है यह सर्वश्रेष्ठ वात शामक माना गया है ,यह हृदय के लिए लाभदायक है ,
लवण रस अग्नि और वायु महाभूत प्रधान है , इस रस का सेवन अल्प ही करना उचित है क्योंकि की यह शरीर में क्लेद को बढ़ाता है .....
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