my blogs

Tuesday, September 21, 2010

cancer se bachav aur badhne se rokne ke upaay

प्रिय मित्रों ,
पिछले ब्लॉग में मैंने आपको कैंसर होने का मूल कारण बताया था . अब मैं आपको बचाव और बढ़ने से रोकने का उपाय बताऊँगा , सबसे पहले जिन जिन कारणों  को हम जानते हैं उनका त्याग करना अनिवार्य है .
जो लोग कैंसर के रोगी हैं वोह सुबह उठ कर प्राणायाम एवं योग करें , शुद्ध वायु अत्यधिक लाभदायक है , प्रतिदिन गाज़र मूली टमाटर का रस पियें , गरिष्ठ भोजन का त्याग करें . हलके और चिकनाई युक्ता आहार का सेवन करें ,चलना फिरना आपके स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक है .

Friday, September 17, 2010

cancer karkrog

प्रिय मित्रों नमस्कार, आज मैं आपको कैंसर यानि कर्करोग के बारे में जानकारी देने जा रहा हूँ . इस रोग के अनेक कारण होते हैं , जो की हम सब जानते हैं , जानने योग्य बात यह है की ये किन किन अंगो में हो सकता है , यह रोग शरीर के किसी भी अंग से शुरू होकर कही भी फैल सकता है क्योंकि कैंसर ग्रस्त कोशिका रक्त संचार के द्वारा एक प्रभावित भाग से दुसरे स्वस्थ भाग में पहुँच कर उसे भी कैंसर ग्रस्त कर सकती है . कैंसर एवं एड्स जैसी बिमारियों के भयानक होने का कारण यह है की ये मनुष्य के जींस और क्रोमोसोम पर हमला करती है

आचार्य  चरक के अनुसार  हमारे शरीर में पुरानी कोशिकाओं का नाश  तथा नयी कोशिका निर्माण की प्रक्रिया निरंतर चलती है  यहाँ ये बात ध्यान देने योग्य है की ये दोनों प्रक्रियाएं समान गति से होने के कारण हमें इसका अनुभव नहीं होता कैंसर में निर्माण की प्रक्रिया अनियंत्रित होती है और इसमें जो कोशिकाएं निर्मित होती हैं वे   अविकसित और विकृत होने के कारण कार्य करने योग्य नहीं होती , शरीर के लिए अनुपयोगी सिद्ध होती हैं . चरकचार्य के अनुसार विकृत कोशिका निर्माण की प्रक्रिया को रोकना ही कैंसर का उपचार है जिससे नयी कोशिकाओं का  निर्माण सही रूप से हो सके . आजकल कैंसर के उपचार के लिया chemo थेरपी का उपयोग किया जाता है जो की विषैली  होती हैं आयुर्वेद में कैंसर को बढ़ने से रोकने के लिए उपचार कहे गए हैं इस विषय में आगे बहुत सारी चर्चा करना है जो की में आपको अगले ब्लोग्स में दूंगा

Sunday, September 12, 2010

आयुर्वेदमन्त्र: diabetic ketoacidosis

आयुर्वेदमन्त्र: diabetic ketoacidosis: "प्रिय मित्रों , आज मैं आपको diabetic ketoacidosis के बारे में बताना चाहूँगा जो की एक और बड़ी समस्या है जिसमे की इंसुलिन क..."

diabetic ketoacidosis

प्रिय मित्रों ,
                   आज मैं आपको diabetic ketoacidosis के बारे में बताना चाहूँगा जो की एक और बड़ी समस्या है जिसमे की इंसुलिन की कमी होने के कारण शरीर अपनी उर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वसा का पाचन करता है जिससे अम्लीय ketone bodies का निर्माण होता है जो की अत्यंत हानिकारक है इसके फलस्वरूप रक्त में अम्लता , शरीर में पानी की कमी तथा गहन श्वास ,तीव्र श्वास होती है , मित्रों इस स्थति से बचने के लिए हमें सावधानिया रखनी होंगी , सबसे पहले यदि आप मधुमेह के नए रोगी हैं तो हमें प्रयास यह करना होगा की शुरुवात में परहेज पर अधिक ध्यान दें क्योंकि यदि एक बार आप इंसुलिन पर निर्भर हो गए तो जीवन भर उसी पर निर्भर रहना होगा . ऐसी स्थिति में जब इंसुलिन बाहरी स्रोत से प्राप्त होने पर अग्नाशय उसका निर्माण बिलकुल ही बंद कर देगा. इस स्थिति को disuse atrophy  कहते हैं . हमारा प्रयास यह है की पहले यह जानकारी प्राप्त करें  की कितने प्रतिशत कोशिकाओं का ह्रास हुआ है. क्या उन कोशिकाओं को पुनः जीवित किया जा सकता है ,यदि नहीं किया जा सकता तो कम से कम शेष कोशिकाओं को बचाया जा सकता है ,और यदि पुनर्जीवित करने का प्रयास सफल होता है तो यह आशा की नयी किरण होगी क्योंकि एक बार diabetic ketoacidosis होने पर बचना मुश्किल है

Friday, September 10, 2010

diabetic foot

प्रिय मित्रों नमस्कार ,
                                     आज मैं आपको diabetic फूट के बारे में जानकारी देना चाहता हूँ . वैसे तो मधुमेह बड़ी ही जटिल बीमारी है , परन्तु उसका भयानक पहलु यह भी है की इसमें यदि रक्त शर्करा की मात्रा बढ़ जाये तो छोटा से छोटा घाव नहीं भरता उसका कारण यह है की बढ़ी हुयी शर्करा बक्टेरिया और fungus  के लिए अच्छा मीडिया होता है. diabetic  foot  होने के बारे में हम पहले जान चुके है , इसका प्रमुख कारण पैरों की नसों का सिकुड़ना तथा उनमे रक्त संचार कम होना है. जिसके कारण वहां अनेरोबिक बक्टेरिया उत्पन्न हो जाते हैं जिससे की gangrene  हो जाती है , परिणाम स्वरुप amputation  करना पड़ता है , आयुर्वेद में रक्त मोक्षण के द्वारा अशुद्ध रक्त को निकाल कर शुस्रुताचार्य के द्वारा बताये शल्य पध्धति से व्रण चिकित्सा की जाए तो शीघ्र ही लाभ मिलता है . इस पद्धति से घाव जल्दी भरता है ,तथा पुनः पैरों को नया जीवन मिलता है यदि आपको भी मधुमेह से जुडी कोई भी समस्या है तो संपर्क करें धन्यवाद

Friday, September 3, 2010

punsavan vidhi

प्रिय मित्रों , आज मैं आपको पुंसवन विधि के बारे में बताना चाहूँगा . आयुर्वेद शास्त्र में इसका वर्णन मिलता है. इस विधि से आप मनचाही संतान प्राप्त कर सकते हैं लड़का या लड़की. वास्तव में पुराने समय में यह पध्धति पुत्र प्राप्ति के हेतु की जाती थी . आजकल यह विवादित हो चुकी है तथा सरकार के नियमो के अनुसार यह पध्धति वोही व्यक्ति करवा सकता है जिसे पहले से पुत्री संतान हो . वास्तव में ऐसा कोई निषेध नहीं की यह पध्धति केवल पुत्र प्राप्ति के लिए की जाती है इस विधि से पुत्री भी प्राप्त हो सकती है . इस विधि में औषध युक्त तेल की बुँदे स्त्री के दोनों नासिका द्वार में छोड़ी जाती है , इसका वैज्ञानिक आधार है की जब शुक्र और रज का मिलन होता है तो वहां पुरुष के शुक्राणु के x  अथवा y  गुणसूत्र को आकर्षित करके मिलन करती है इसी तरह एह औषध अपने ऐच्छिक शुक्राणु को आकर्षित करके गर्भ  का निर्धारण करती है .