प्रिय मित्रों नमस्कार ,
वसंत ऋतू ये अत्यंत ही मनमोहक और सुखद ऋतू है ,किन्तु इस ऋतू में शीत ऋतू में संचित कफ दोष का प्रकोप होता है , कफ दोष के कारण अनेक स्वास्थय समस्याएँ जैसे कास श्वास और प्रतिश्याय यानि कि कास अर्थात खांसी , प्रतिश्याय यानि कि नाक का बहना छींकें आना और श्वास जिसे कि सामान्य भाषा में दमा और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में Asthma के नाम से जाना जाता है। इन सबमे दमा श्वास ये अधिक कठिन रोग है क्योंकि यह याप्य है अर्थात पूर्णतः चिकित्स्य नहीं है। इस बीमारी को पूर्णतः समाप्त नहीं किया जा सकता , किन्तु इसके लक्षणों को रोका जा सकता है।
यदि आप दमा श्वास के रोगी हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान और सावधानियां रखनी चाहिए।
१. प्रातः काल यानि सुबह उठ कर ख़ाली पेट एक गिलास गर्म पानी(गुनगुने से थोडा ज्यादा गर्म ) अवश्य पियें , जिस से फेफड़ों और श्वास कि नलिकाओं में जमा हुआ बलगम निकलने में मदद मिले। यदि बलगम निकलने लगे तब उसे बाहर निकालें गटकें नहीं।
२. भोजन में खट्टी मीठी और ठंडी चीज़ों का परहेज रखें
३. भोजन कम मात्रा में करें ,क्योंकि वसंत ऋतू में कफ दोष के आधिक्य से अग्नि मांद्य होता है , तथा भोजन का पाचन ठीक से नहीं होता।
४. धुल धुंए से दूर रहें ,और जहां पोलन ग्रैन यानि कि पराग कणो से दमा का दौरा पद सकता है।
५ प्राणायाम और अनुलोम विलोम करने से फेफड़ों में शुद्ध हवा का संचार होता है तथा फेफड़ों को बल मिलता है।
६. तालिसादि चूर्ण और वासा अवलेह , चित्रक अवलेह का सेवन लाभदायक होता है।
वसंत ऋतू ये अत्यंत ही मनमोहक और सुखद ऋतू है ,किन्तु इस ऋतू में शीत ऋतू में संचित कफ दोष का प्रकोप होता है , कफ दोष के कारण अनेक स्वास्थय समस्याएँ जैसे कास श्वास और प्रतिश्याय यानि कि कास अर्थात खांसी , प्रतिश्याय यानि कि नाक का बहना छींकें आना और श्वास जिसे कि सामान्य भाषा में दमा और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में Asthma के नाम से जाना जाता है। इन सबमे दमा श्वास ये अधिक कठिन रोग है क्योंकि यह याप्य है अर्थात पूर्णतः चिकित्स्य नहीं है। इस बीमारी को पूर्णतः समाप्त नहीं किया जा सकता , किन्तु इसके लक्षणों को रोका जा सकता है।
यदि आप दमा श्वास के रोगी हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान और सावधानियां रखनी चाहिए।
१. प्रातः काल यानि सुबह उठ कर ख़ाली पेट एक गिलास गर्म पानी(गुनगुने से थोडा ज्यादा गर्म ) अवश्य पियें , जिस से फेफड़ों और श्वास कि नलिकाओं में जमा हुआ बलगम निकलने में मदद मिले। यदि बलगम निकलने लगे तब उसे बाहर निकालें गटकें नहीं।
२. भोजन में खट्टी मीठी और ठंडी चीज़ों का परहेज रखें
३. भोजन कम मात्रा में करें ,क्योंकि वसंत ऋतू में कफ दोष के आधिक्य से अग्नि मांद्य होता है , तथा भोजन का पाचन ठीक से नहीं होता।
४. धुल धुंए से दूर रहें ,और जहां पोलन ग्रैन यानि कि पराग कणो से दमा का दौरा पद सकता है।
५ प्राणायाम और अनुलोम विलोम करने से फेफड़ों में शुद्ध हवा का संचार होता है तथा फेफड़ों को बल मिलता है।
६. तालिसादि चूर्ण और वासा अवलेह , चित्रक अवलेह का सेवन लाभदायक होता है।
७ वसंत ऋतू में वमन चिकित्सा लेने से स्वाभाविक रूप प्रकुपित कफ दोष का शमन होता है ,देखा गया है कि जो लोग हर वर्ष नियमित रूप से वमन कर्म करवाते हैं ,वो वर्ष भर स्वस्थ रहते हैं और उन्हें कफ दोष जनित विकार भी नहीं होते।