प्रिय मित्रों आप सभी को होली एवं भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाये . आज मैं आपको ऐसे औषधीय पौधे के बारे में बताना चाहता हूँ जो की वास्तव में प्रकृति का उपहार है. हम सभी जानते हैं की एलो वेरा जिसे की आम बोलचाल की भाषा में ग्वार पाठ या घृत कुमारी कहा जाता है. इसका प्रयोज्य अंग इसके डंठलों में पाया जाने वाला चिकना पदार्थ है जिसे पल्प कहा जाता है.
आजकल इसका प्रयोग सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है. परन्तु यह मात्र इसी उपयोग के लिए नहीं है ,इसके अन्य बहुत सारे महत्वपूर्ण उपयोग हैं . जिसमे सबसे अधिक महत्वपूर्ण है की अचानक जल जाने या कट जाने पर इसके लगाने से तुरंत आराम मिलता है. पेप्टिक अल्सर में यानि की अन्त्रों में छाले हो जाने पर इसके रस को पीने से छालों का घाव भर जाता है और एसिडिटी में आराम मिलता है ,
मधुमेह में इसका उपयोग करने पर यह रक्त शर्करा के नियमन में मदद करता है तथा यकृत एवं अग्नाशय के चयापचय में सुधार लता है.
अत्यधिक मद्यपान करने से लीवर में उत्पन्न विकारों को दूर करने में मदद करता है . कैंसर में इसका उपयोग एंटी ओक्सिडेंट के रूप में किया जाता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में मदद मिलती है.
इसीलिए तो कहते हैं आयुर्वेद अमृत के सामान है . जय हिंद ..........