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Thursday, December 30, 2010

nav varshabhinandan

 प्रिय मित्रों २०१० वर्ष के अंतिम दिन और नव वर्ष का आगमन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें . आहार सम्बन्धी जानकारी में  मैं आपको पिछले ब्लोग्स में दे चुका हूँ ,आज आहार के बारे में कुछ अन्य विशेष जानकारी दे रहा हूँ , हम में से बहुत से लोग रस (जो की जिव्हा का ग्राह्य विषय है ). के बारे में जानते हैं पर बहुत से लोग नहीं जानते इसलिए इस बारे में विस्तार से वर्णन कर रहा हूँ . रस छः प्रकार के होते हैं मधुर अम्ल लवण तिक्त (कड़वा ) उष्ण (तीखा ) कषाय .

यह बल (strength) के आधार पर उत्तरोत्तर लघु होते हैं , अब इनकी विशेषताओं को बताऊँगा ,जैसे  मधुर रस यह जिव्हा को अतिप्रिय रस है पृथ्वी और आप्य (जल ) महाभूत प्रधान है यह शरीर को संहनन और बल प्रदान  करता है
अम्ल रस यह आग्नेय है अर्थात अग्नि और जल महाभूत प्रधान है यह सर्वश्रेष्ठ वात शामक माना गया है ,यह हृदय के लिए लाभदायक है ,
लवण रस अग्नि और वायु महाभूत प्रधान है , इस रस का सेवन अल्प ही करना उचित है क्योंकि की यह शरीर में क्लेद को बढ़ाता है .....

Tuesday, December 14, 2010

sadar namaskar

प्रिय मित्रों ,
                  सादर नमस्कार बड़े दिनों बाद आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूँ , शीत ऋतू या कहें की हेमंत ऋतू का आगमन हो चुका है , क्रिसमस और नव वर्ष का आगमन भी होने को है , आज मैं आपको शीत ऋतू की चर्या याने की ठंडो में किस तरह का आहार तथा विहारे करना चाहिए इस बारे में जानकारी दूंगा , शीत ऋतू में ठंडी हवाओं के कारन अग्नि प्रबल होती है यानि की जैसा भी आहार आप करते हैं उसे पचाने की क्षमता शरीर में होती है इस काल को विसर्ग काल कहा जाता है क्योंकि इसमें सूर्या का बल हीन तथा चन्द्रमा बलशाली होता है ,इस काल में शरीर का बल उत्तम होता है , उष्ण और स्निग्ध आहार लेना है , इस ऋतू में उरद की दाल का सेवन करना उत्तम रहता है. इस काल में व्यायाम भी करना चाहिए ,जोग्गिंग उत्तम व्यायाम है , योग करने वाले योग भी करें